बाद में तेज इस युवा उपज शावक, वह बिस्तर पर सूचित खड़ा था, मुझे उसका साशा और उसका भार खा रहा था .. एक चौंकाने वाला 'अतिसंख्या' नाटक में आईने में हमारे खिलौने की प्रतिबिंबिता है।